राजस्थान में 1857 की क्रांति || Revolt of 1857 in Rajasthan Complete Notes in Hindi

Bhagat Education
0

राजस्थान में 1857 की क्रांति , प्रमुख कारण, शासक, अंग्रेज अधिकारी, AGG, एजेंट की जानकारी


Revolt of 1857 in Rajasthan Complete Notes
Revolt of 1857 in Rajasthan Complete Notes

राजस्थान में 1857 की क्रांति PDF Notes download , Handwritten Notes download in hindi

  • 1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान
  • राजस्थान में 1857 की क्रांति के कारण
  • 1857 की क्रांति के समय राजस्थान के शासक
  • 1857 की क्रांति और राजस्थान Notes PDF

❖ राजस्थान में 1857 की क्रान्ति ।

इस्ट इण्डिया कम्पनी (EIC) की स्थापना = Dec 1599 (लंदन)
        ➤  Board of Directors = सदस्य संख्या 24
        ➤  BOD का कार्य = व्यापार |

➤  Board of Directors के पास पुर्वी देशों के साथ 15 वर्षो तक व्यापार करने का अधिकार पत्र ।

➤  भारत में सर्वप्रथम EIC कंपनी के प्रतिनिधि = कैप्टन हॉकिग्स

➤  कैप्टन हॉकिंग्स (हैक्टर जहाजी बेड़े के साथ) 1608 ई. = आगरा में जहाँगीर से मुलाकात की थी |

→ EIC की भारत में प्रथम व्यापारिक कोठी सूरत (1608 में)

→ EIC का दुसरा प्रतिनिधित्व = सर टॉमस रो = Dec ,1615

                                         जहाँगीर से मुलाकात ( जनवरी 1616) ( अजमेर में )

1617 में दुसरी व्यापारिक कोठी की स्थापना = मसुलीपट्नम (विशाखापट्नम)

⇒ 1757 में प्लासी का युद्ध = भारत में अंग्रेज साम्राज्य की शुरुआत ।
⇒ 1764 में बक्सर का युद्ध = भारत में अग्रेजी साम्राज्य की स्थापना ।

➤ क्रांति के समय भारत का गवर्नर जनरल (G.G.) = "लार्ड कैनिन"
➤ बंगाल के प्रथम G.G. = वॉरेन हेस्टिंग (1733 के रेगुलेटिंग act के तहत )
➤ भारत का प्रथम गवर्नर जनरल (G.G.) = " विलियम बैटिंग" {1833 के चार्टर एक्ट के तहत }
➤ भारत का प्रथम वायसराय - लार्ड केनिन  (1858 के भारत सरकार अधिनियम के तहत )
➤ भारत का अन्तिम वायसराय = श्री राजगोपालाचारी
➤ भारत का अंतिम अग्रेज वायसराय = लार्ड माउण्टबेटन
➤ क्रान्ति के समय राजस्थान का A.G.G = मिस्टर अब्राहिम लॉकेट
राजस्थान का अन्तिम A.G.G =  चीप बुक

➤ क्रान्ति के समय राजस्थान का   ............. = कॉल्विन (मुख्यालय = आगरा)

➤ ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत में व्यापार की शुरूआत = .................

❖ राजपुताना रेजीडेन्सी की स्थापना = 1832 ई.

➤ स्थान = अकबर का किला (अजमेर)
➤ मुख्यालय = अजमेर ( 1832 में बना ) - शीतकालिन मुख्यालय,
                    मा. आबु ( 1845 में बना ) - ग्रीष्मकालिन मुख्यालय
➤ प्रमुख पद = A.G.G. (लॉकेट प्रथम)

➤ क्रान्ति के समय A.G.G. = पेट्रिक लॉरेन्स

➤ संस्थापक = विलियम बैटिंग

⇒ क्रान्ति के समय इंग्लैण्ड का P.M = पामस्टॉम

❖ 1857 की क्रान्ति (राजस्थान में )

➤ प्रतीक चिन्ह = " रोटी व कमल "
➤ क्रान्ति की तय तीथी = 31 May 1857
➤ भारत में क्रान्ति की शुरुआत = 10 may 1857 (मेरठ से )

➤ क्रान्ति का मुख्य नेतृत्वकर्ता = बहादुरशाह जफर
➤ राजस्थान में क्रान्ति की सुचना = 19 मई 1857 
                                    A.G.G माऊण्ट आबु में था = पेट्रिक लॉरेस

➤ राजस्थान में क्रान्ति की शुरूआत शुरुआत = 28 मई 1857 (नसीराबाद छावनी ) अजमेर से |
{ 15 वी व 30 वी BNI द्वारा }

➤ राजस्थान का पहला एजेण्ट टू गवर्नर जनरल - मि. लॉकेट

➤ क्रांति के समय एजेण्ट टू गवर्नर जनरल = जार्ज पेट्रिक लॉरेन्स

➤ 1857 की क्रान्ति के तात्कालिक कारण = चर्बी वाले कारतुस

➤ जनवरी 1857 से पहले सैनिको के पास ब्राऊन बेस बंदुक थी ।
              ब्राउन बेस बंदुक के स्थान पर " एनफिल्ड राइफल " का प्रयोग ।

➤ चर्बी वाले कारतूसो का सबसे पहले विरोध = 26 फरवरी 1857 (बुराहनपुर UP में)

घटना :- बैरकपुर छावनी (U.P) ⇒ 29 मार्च 1857

         सैनिक "मंगल पाण्डे " - चर्बी वाले कारतूसो के प्रयोग करने से मना किया ।

➤ 29 MARCH 1857  को मंगल पाण्डे ने दो अग्रेज अधिकारियो की हत्या कर दी = 
(i) बॉग
(ii) ह्यूसन

➤ मंगल पाण्डे की फाँसी की सजा सुनाने वाला - रॉबर्ट हुक
➤ मंगल पाण्डे की फाँसी 8 अप्रेल 1857 को फॉसी हुई।

• 1857 की क्रांति का सम्पूर्ण भारत में प्रथम शहीद - "मंगल पाण्डे "

➤ क्रिमिया युद्ध में सर्वप्रथम " एनफिल्ड राइफल " का प्रयोग ।
➤ राजस्थान का मंगल पाण्डे = "अमर चन्द बाटिया "

❖ 1857 की क्रान्ति के समय राजस्थान में सैनिक छावनियाँ:-

1. नसीराबाद (अजमेर) = 15 वी BNI ,30 वी BNI, बम्बई लॉयर्स
2. नीमच (M.P.) = अवध रेजिमेन्ट
3. एरिनपुरा (पाली) = जोधपुर लीजन 4. देवली (टोंक) = कोटा लीजन
5. ब्यावर (अजमेर) = मेरवाड़ा लॉयर्स
6. खेरवाड़ा (उदयपुर) = मेवाड़ भील कोर -

ब्यावर (अजमेर) व खेरवाड़ा (उदयपुर) में 1857 की क्रांति का विद्रोह नही हुआ।
         ब्यावर, खेरवाड़ा में चर्बी वाले कारतूसों से कोई समस्या नहीं थी विद्रोह भी नही हुआ।

❖ रियासत व  P.A.  एवं शासक ( Political Agent )

मेवाड़     -     मेजर शावर्स     -     महाराणा स्वरूप सिंह

मारवाड़     -     मैकमॉसन     -     महाराणा तख्त सिंह

जयपुर     -     ईडन     -     महाराणा राम सिंह - 2

कोटा     -     मेजर बर्टन     -     महाराव राम सिंह - 2

भरतपुर     -     मोरिसन     -     जसवंत सिंह

अजमेर     -     कर्नल डिक्सन     -      केन्द्रशासित

सिरोही     -     J. D. हॉल     -     केन्द्रशासित ।    शिव सिंह

धौलपुर     -     मेजर निक्सन -     ----------------

 राजस्थान में क्रांति की सुचना = 19 मई 1857 ई.

1. नसीराबाद छावनी में विद्रोह = 28 मई 1857 ( राज में क्रांति की शुरुआत)

15 वी. BNI :- अजमेर से नसीराबाद

❖ सैनिक - बख्तावर सिंह द्वारा अंग्रेज अधिकारी का संतोषजनक जवाब नही मिलने पर ।
❖ सहयोग = 30 वी. BNI
❖ निगरानी = बंबई लॉयर्स

    ➥ 2 अंग्रेज अधिकारियो की हत्या = (i) न्युबरी (ii) स्पोस्ट वुड़ / स्पोटिस


प्रिचार्ड का कथन :- "अगर क्रांतिकारी दिल्ली न जाकर अजमेर आ जाते और मैगजीन दुर्ग, गोला-बारूद लुट लेते तो क्राँति का स्वरूप ही कुछ ओर होता"

→ पैनी नामक अग्रेज अधिकारी की जोधपुर जाते समय हृदयघात से मृत्यु हो गई |
→ 18 जुन 1857 को क्रांतिकारी दिल्ली पहुँचे।
→ नसीराबाद में क्रांति का नेतृत्व = धरख्तावर खाँ के नेतृत्व में |

2. नीमच छावनी :- 03 जून 1857

❖ नेतृत्व :- मोहम्मद अली बेग, हिरालाल सिंह 
❖ नीमच की देखरेख मेवाड़ रियासत करती थी ।
❖ अग्रेज अधिकारी = कर्नल एबोट

➤  एबॉर नामक अधिकारी वफादारी की शपथ दिला रहा था तो मोहम्मद अली बेग ने पालना नही की और अधिकारी को कहा कि " तुमने भी शपथ की पालना नही की थी और "अवध" को कुप्रशासन का आरोप लगाकर हड़प लिया था।"

➤  03 जून 1857 को विद्रोह हुआ।

→ एबॉट को गोली मार दी गई।
→ यहाँ से 40 अंग्रेज परिवारो ने डुंगला (चितौड़) गाँव के "रुघाराम" के यहाँ शरण ली।
→ मेवाड़ का P.A शावर्स इनको उदयपुर ले गया।
→ उदयपुर के महाराजा स्वरूप सिंह ने " जगमंदिर (पिछोला झील) "में शरण दी । 
                सुरक्षा की जिम्मेदारी = गोकुलचंद मेहता ।
→ विद्रोह शांत व मेवाड़ के अर्जुनसिंह ने रोटी खाकर संतुष्ट किया।

❖ अमरचंद बाठियाँ :-

    ➤  1857 की क्रांति के समय "तात्या टोपे + लक्ष्मी बाई" को अपनी सारी सम्पति दान कर दी थी।
   ❖  फांसी :- इसे ग्वालीयर " में अग्रेजो ने पेड़ के नीचे फॉसी दे दी थी।
  ❖   उपनाम:- • 1857 की क्रांति का भामाशाह
                    • राज० का मंगल पाण्डे
                   • राजस्थान का प्रथम शहीद

❖ सुजा कंवर राजपुरोहित :- "लाडनु "

→ ऐसी महिला जिसने क्रान्ति के समय पुरुषो की वेशभुषा " में लड़ी थी।

3.एरिनपुरा (पाली) :- 21 August 1857

❖ जोधपुर लिजन सैनिको को "पुर्विया"(घुड़सवार) कहा जाता था।
→ एरिनपुरा के 90 सैनिक ट्रेनिंग के लिए आबू गए हुए थे |

❖ AGG ने सुरक्षा ( जोधपुर लिजियन की) का भार महाराणा तख्तसिंह को सौपा।
→ महाराणा ने रक्षा के बजाय 21 August 1857  को आबु को लुट लिया व A.G.G. के पुत्र " एलेक्जेण्डर " की हत्या के दी |
→ एरिनपुरा के क्रांतिकारियों ने विद्रोह कर दिया।

❖ विद्रोह का नेतृत्व - (i) शीतल प्रसाद (ii) मोती खाँ (ii) तिलकराम

➤  शिवसिह के नेतृत्व में "चलो दिल्ली मारो फिरंगी" का नारा दिया।

क्रांतिकारी आहुआ चले गये । वहाँ ठाकुर कुशालसिंह ने क्रांतिकारियों का साथ दिया।

❖ बिथौड़ा का युद्ध (पाली) :- 08 सितम्बर 1857

कुशाल सिंह     V/S     तख्तसिंह का सेनापति ओनाड़ सिंह

➤  कुशाल सिंह की जीत हुई
➤  सेनापति मारा गया

❖ चैलावास का युद्ध । काला - गौरा का युद्ध :- 18 सितम्बर 1857

कुंशाल सिंह      V/S     AG.G, जार्ज पेट्रिक लॉन्स

➤  P.A. - मेक मोसन मारा गया। → सिर काटकर आउवा के किले पर लटका दिया।

→ 18 Sep 1857 को गवर्नर हॉमस व डीसा ने आहुवा को घेर लिया |

➤  कुशालसिहं ने किले की जिम्मेदारी पृथ्वीसिहं को सौपकर "कोठारिया के जोध सिंह सलुम्बर के केसरी "  के यहाँ शरण ली। 

➤  कुशाल सिंह ने आत्मसमर्पण कर लिया। 24 जनवरी 1858 को अग्रेजो के किले पर अधिकार कर लिया।

➤  कुशाल सिह की भूमिका की जाँच हेतु एक आयोग का गठन किया।

❖ मेजर टेलर आयोग:-

➤  इसने 10 नवंबर 1860 ई. को रिपोर्ट दी।  निर्दोष शाबित हुआ ।
➤  कुशाल सिंह की 1864 ई. में उदयपुर में मृत्यु हो गई।

4. कोटा का विद्रोह :- 15 Oct. 1857

❖ कोटा के  विद्रोह के उपनाम :- 
शहर की क्राँति, जन विद्रोह, दुर्ग की क्रांति 
❖ नेतृत्व :- जयदयाल (करौली) व मेहराब खाँ  (भरतपुर) । (अन्त में फांसी दी गई)
                
NOTE :- कोटा में कोई छावनी नहीं थी यहाँ जनता ने विद्रोह किया। ( 6 माह तक जनता का शासन)

❖ क्रांति के समय P.A. =  मेजर घटन
❖ क्रांतिकारियों ने राजा की सेना के साथ दुर्ग में प्रवेश किया। 

→ P.A. मेजर बर्टन व उसके पुत्र डॉ० सेल्डर को मार दिया ।

→ महाराव रामसिह-2  को नजरबंद कर दिया।
कोटा विद्रोह दबाने में करोली शासक मदनपाल ने अंग्रेजों की सहायता की


❖ मेजर बर्टन :- क्रांतिकारियो ने बर्टन का सिर काटा (नारायण व भवानी) और कोटा शहर में घुमाया।

➤  करौली के शासक मदनलाल ने अंग्रेजो की सहायता की तो मदनलाल की तोपो को सलामी 13 से बढ़ाकर 17 कर दी गयी | व रामसिंह की तोपो की सलामी 17  से घटाकर 13 कर दी गयी |

करौली शासक मदनपाल को "ग्रांड  कमाण्डर स्टार ऑफ इण्डिया" की उपाधि दी गई।

5.धौलपुर विद्रोह :- 

❖ शासक = "भगवन्त दास"
❖ नेतृत्व = गुर्जर देवा, रामचन्द्र, हीरालाल
❖ भगवन्त सिंह को 2 महिने तक किले में कैद करके रखा।
❖ पटियाला से सैनिक टुकड़ी बुलाकर धौलपुर विद्रोह का दमन ।

NOTE:- धौलपुर एक ऐसी रिसाय रियासत थी जिसमें विद्रोह बाहर के क्रांतिकारियों द्वारा किया गया व दमन भी बाहर से सैन्य टुकड़ी बुलाकर किया गया।

6.भरतपुर विद्रोह :- 31 may 1857

❖ शासक = जसवंत सिंह ( नाबालिक)
❖ P.A. = मॉरिसन

→ क्रांति की निश्चित तिथि पर शुरूआत होने वाली प्रथम रियासत । 31 May 1857  निश्चित तिथि थी।
→ मथुरा में हुई क्रांति की सुचना मॉरिसन को मिलते ही इसने सरदार के कहने पर भरतपुर छोड़ दिया।

7.टोंक विद्रोह :- (देवली)

❖ नवाब - बजीरुदौला
❖ सहयोग - मामा मीर- आलम ।

⇒ 600 सैनिक दिल्ली पहुॅचे।

8. अजमेर (कारागार जेल) :- 9 अगस्त 1857

           ➥  40 कैदी फरार ।

9. जयपुर जन विद्रोह :- रामसिंह - I

❖ नेतृत्व = उस्मान खाँ, सादुल खाँ ,विलायत खाँ ।
❖ रामसिंह ने अंग्रेजो की तन-मन-धन से सहायता की अंग्रेजो से इन्हे " सितार-ए-हिंदे" की उपाधि मिली।

NOTE :- बीकानेर शासक सरदार सिंह अग्रेजो की सहायता हेतु राज्य से बाहर "हिसार " तक
गया।

1857 की क्रांति के संदर्भ में कथन :-

(i) वीर सावरकर :-     भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
(ii) S.K. सेन :-      राष्ट्रीयता के अभाव में होने वाली क्रांति
(iii) डॉ. रामविलास शर्मा:-    जन विद्रोह
(iv) जवाहर लाल नेहरू:-     सांमत शाही विद्रोह
(v) बेजामिन डिजरौली :-     राष्ट्रीय आंदोलन
(vi) माउटुम व टेलर :-     हिंदू मुश्लिम एकता का परिणाम |

      राजनैतिक कारण

1. लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि :-

➤  देशी राज्यों की आंतरिक सुरक्षा व विदेश नीति का उत्तरदायित्व अंग्रेजों पर था जिसका खर्च संबंधित राज्य को उठाना पड़ता था ।

2. लॉर्ड डलहौजी की गोद निषेध नीति / राज्य हड़प नीति :-

➤  राजा की मृत्यु हो जाए और राजा के पुत्र नहीं है तो दत्तक पुत्र गोद लेने का अधिकार नहीं होगा। और रियासत को अंग्रेजों के अधिकार में ले लिया जाएगा।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)