राजस्थान की प्रमुख हवेलियॉ
मारवाड़ की हवेलियॉ
पत्थर की जाली व कटाई के लिए, हाड़ौती की हवेलियॉ अपनी कलात्मक संगतरासी के लिए, शेखावाटी की हवेलिया भिति चित्रकारी के लिए।
1. शेखावाटी की हवेलियॉ
यहाँ की हवेलियों जो अपने फ्रेस्को पेंटिंग (भित्ति चित्रण) के लिए प्रसिद्ध हैं। इन हवेलियों का निर्माण बलुआ पत्थर, जिप्सम, चूना पत्थर व लकड़ी से हुआ है।
- झुन्झुनु -सोने-चॉदी की हेवली - महनसर
- कनोडियो की हवेली - मुकून्दगढ
- बागडियों व डालमिया की हवेली - चिडावा
- मोदियों की हवेली - झुन्झुनू
➤ नवलगढ की हवेलियॉ
शेखावाटी की स्वर्ण नगरी के नाम से प्रसिद्ध इन हवेलियों की विशेषता - ऊँचा खुर्रा, ऊँचे दरवाजे, विशाल चौक व भिति चित्रण।
- भगतों की हेवली
- चौखानी की हवेली
- ईसरदास मोदी की हवेली
- पौद्दारों की हवेली
➤ बिसाऊ की हवेलियॉ
- नाथू राम पोद्दार की हवेली
- केडियों की हवेली
➤ मण्डावा की हवेलियॉ
- रामदेव चौखाणी
- गोयनका हवेली
मण्डावा में स्वर्णिम बालू रेत के स्तूप दर्शनीय है।
➤ सीकर - नई हवेली, रोनेडी, राठी।
➤ पंसारी - श्रीमाधोपुर, रूइयों की - रामगढ, बिनाणियो की - लक्ष्मणगढ
➤ चुरू - 6 मंजिला सुराणा की हवेली (जिसमें 1100 खिड़की व दरवाजे) पच्चिसां की, मोटी हवेली।
2. जयपुर
चूरसिंह की, धाबाई की, खवासण जी की, नानाजी की, पुरोहित जी की हवेली इस हवेली का विशाल कक्ष टेम्परा पद्धति के भिति चित्र है।
3. जोधपुर
राखी की, पुष्य की, पाल की, पोकरण की, बड़ें मियॉ की हवेली, पच्चिसां हवेली. टाटिया परिव ार की हवेलिया - खींचन(जोधपुर)। पुष्य हवेली -निर्माण जोधपुर महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय के कामदार पुष्करजा ने करवाया। इसका निर्माण एक ही नक्षत्र (पुष्य नक्षत्र) में किया गया ऐसा विश्व का ज्ञात एकमात्र भवन है।
4. जैसलमेर
इसे हवेलियों का नगर, स्वर्णनगरी, व म्यूजियम सिटी के उपनाम से भी। इसे रेगिस्तान का गुलाब।
➤ पटवों की हवेलियॉ
नक्कशी एंव पत्थर में बारीकी कटाई के लिए प्रसिद्ध है। 5 मंजिला इस हवेली का निर्माण 18 वी सदी के उतरार्द्ध में जैसलमेर के एक व्यवसायी गुमानचन्द के पॉच पुत्रों ने करवाया। इनमें बनी लकडी की छतें, दरवाजे, हाथी दॉत व सोने की कलम की चित्रकारी, कॉच का कार्य, भिति चित्र दर्शनीय है। इस हवेली में मुख्य विशेषत पत्थर को काटकर बनाई गई जालियॉ है जो खिड़कियों को सुशोभित है।
➤ सालिमसिंह की हवेली
जैसलमेर के प्रधानमंत्री सालिमसिंह मेहता द्वारा 18 वी सदी में निर्मित यह नौ-मंजिला हवेली पत्थर की नक्काशी व बारीक जालियों के लिए प्रसिद्ध है। इस हवेली के 7 खण्ड पत्थर तथा आठवां व नवां खण्ड लकड़ी के निर्मित थें जिन्हें क्रमशः रंगमहल व शीशमहल कहा जाता है। 9वीं मंजिल को मोतीमहल व जहाज महल भी कहा जाता है।
➤ नथमल की हेवली
जैसलमेर के प्रधानमंत्री नथमल ने 1881 ई में 1885 के मध्य 19 वीं सदी के उतरार्द्ध में इसका निर्माण। इसके द्वारा पर पीले पत्थर से निर्मित दो हाथी इन्द्र ऐरावत के समान सुन्दर है।
अन्य हवेलियॉ
- सोढो की हवेली
- दीवान ईसरलाल की हवेली
5. झालावाड
सलिमसिंह की, गुलजार की, दीवान साहब की हवेली, सात खो की हवेली.
6. उदयपुर
बागौर की, बाफना की, मोहनसिंह की हवेली.
➤ बागौर की हवेली
पिछोला झील के किनारे, मेवाड़ के प्रधानमंत्री अमरचन्द बडवा द्वारा 1751- 78 के मध्य करवाया गया। इस हवेली ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र स्थित है। जो लोक कलाओं के पनुरूत्थान हेतु कार्यरत है।
7. कोटा
झालाजी की , देवता श्रीधरजी की हवेली.
8. अजमेर
बादशाह की हवेली.
9. नागौर
इनाणिया हवेली व बैंगानी हवेली.
10. बिकानेर
यहाँ की हवेलियों में लाल पत्थर का प्रयोग। बच्छावतों की (सर्वाधिक प्राचीन, 1593 में कर्णसिंह बच्छावत ने करवाया।), गुलच्छो की, बाठियों की, ओसवाल की, कोठारी की।
➤ रामपुरिया हवेली
लाल पत्थर से निर्मित रामपुरिया हवेली का निर्माण हीरालाल रामपुरिया ने करवाया। यह हवेली पत्थर पर कोरनी कला का श्रेष्ठ उदाहरण।