राजस्थान लोक गीत
1. गोरबंद
शेखावाटी क्षेत्र। गोरबंद ऊट के आभूषण को बनाते समय का गीत।
2. हमसीढो
मेवाड क्षेत्र। भील पुरूष व स्त्रीयों द्वारा।
3. हरजस
राम-कृष्ण के भक्ति के भजन।
4. रसिया
ब्रज क्षेत्र। कृष्ण भक्ति से सम्बन्धित।
5. ढोला-मारू
मारवाड व सिरोह क्षेत्र। झालावाड के राजकुमार ढोला व पूंगल बीकानेर की राजकुमारी मरवण की प्रेम कथा।
6. मूमल
जैसलमेर क्षेत्र। लोद्रवा की राजकुमारी मूमल का सौन्दर्य का वर्णन।
7. बिनायक
कार्य को प्रारम्भ करते।
8. बधावा
शुभ कार्य सम्पूर्ण होने पर।
9. लावणी
प्रेमी अपनी प्रेमिका को बुलाता है।
10. पपैया
वर्षा ऋतु में। प्रेमिका अपने प्रेमी को बुलाती है।
11. कागा
कौए को सम्बोधित करते हुए किसी का इन्तजार करते हुए गाया जाने वाले गीत।
12. मोरिया
इस गीत द्वारा सगाई हो चुकी लड़की अपनी मनोदशा को बताती है।
13. बन्ना-बन्नी
यह लोक गीत विवाह के अवसर पर लड़के व लड़की को सम्बोधित करके जाते है।
14. काजलियो
यह लोकगीत वर की आँख में उस भाभी द्वारा काजल डालते समय गाया जाता है। काजल पर श्रंगारिक गीत काजलियों।
15. घोड़ी
वर घोड़ी पर घर से निकलता है तो।
16. जलो-जलाल
जब वधू पक्ष की महिलाएं बरात का डेर देखने जाती है तब जलो जलाल गीत गाती है।
17. कामण
वर द्वारा तोरण की रस्म पूरी करते समय वधू पक्ष द्वारा।
18. सीठणे
ये गाली-गीत है। बरातियों के साथ शरारत की जाती है।
19. कोयल
विवाहित युवती की विदाई के समय।
20. ओल्यूँ
बेटी की विदाई के समय।
21. चिरमी
चिरमी के पौधे को सम्बोधित कर विवाहित युवती अपने पीहर को याद करती है और अपने भाई तथा पिता को बुलाती है।
22. पावणा
जवाई आता है तब।
23. इण्डोणी
जब महिलाएं पानी भरने के लिए पनघट पर जाती है तो।
24. पणिहारी
पनघट पर पानी भरने वाली स्त्री को पणिहारी कहते है। स्त्री द्वारा अपने पतिव्रत धर्म के प्रति निष्ठावान रहने का भाव है।
25. पीपली
श्रावण की तीज पर वर्षा ऋतृ में।
26. जच्चा
पुत्र जन्म के अवसर।
27. बिछुड़ा
हाड़ौती क्षेत्र। बिच्छू के जहर से मरने वाली स्त्री अपने पति से दूसरा विवाह करने का आग्रह करती है।
28. कुरजा (कूजां)
विरह गीत है। कुरजा एक प्रवासी पक्षी है जो राजस्थान में साइबेरिया, रूस से आते है। प्रेमिका द्वारा अपने प्रियतम को कुरजॉ पक्षी को माध्यम बनाकर यह गीत गाया जाता है।
29. झोरावा
यह जैसलमेर क्षेत्र का विरह गीत है।
30. सुवटिया
भील स्त्रियों गाया जाने वाला विरह गीत।
31. हालरिया
बच्चे के जन्म पर प्रसूता की प्रशंसा में। जैसलमेर क्षेत्र में। -होलर जाया ने हुई बधाई, थे म्हारां वंश बढायों रे अलबेली जच्चां।
32. कांगसियो
कंघे पर प्रचलित लोक गीत। -म्हारै छैल भॅवर रो कांगसियों पणिहारियॉ ले गई रे ईसरदासजी रो कांगसियों म्है मोल लेस्यां राज।
33. हिचकी
प्रिय व्यक्ति की याद आने पर। -म्हारा पियाजी बुलाई म्हानै आई हिचकी।
34. रातीजगा
विवाह, पुत्र जन्मोत्सव पर रात भर जाग कर गाया जाने वाला।
35. कोयलड़ी
कन्या की विदाई के अवसर पर गाया जाने वाला गीत।
36. जकड़ी
मुस्लिम महिलाओं द्वारा किया जाने वाला रातीजगा।
37. केसरिया बालम
राजस्थान क राज्य गीत। प्रथम बार मॉगी बाई ने तथा सर्वाधिक बार अल्ला जिलाई बाई ने गाया थां।
38. आम्बौ
पुत्री की विदाई का गीत।
39. पंछीड़ा
हाडौती व ढुढाड़ क्षेत्र में मेलों के अवसर पर गाया जाने वाला गीत।
40. बिछियो
स्त्रियों का पैर की अंगुली का आभूषण जिस पर घुंघरू लगे रहते है।
41. सेवरड़ौ
विवाह में फेरों के समय गाया जाने वाला गीत।
42. पटेल्या
पर्वतीय प्रदेश के आदिवासियों का लोकगीत।
43. झूलरियो
विवाह में भात/मायरा भतरे समय गाया जाने वाला गीत।
44. मरसिये
मारवाड़ क्षेत्र में प्रभावशाली व्यक्ति की मृत्यु पर गाये जाने वाले मार्मिक गीत।
45. केवड़ा
प्रेयसी द्वारा गाया जाने वाला लोक गीत।
46. फलसड़ा
विवाह में अतिथियों के आगमन पर।
47. बयाणो/विहांण
विवाह के समय प्रातःकालिन जाये जाने वाले मांगलिक गीत।
48. जेरांणी
शोक गीत।
49. चंद्रायण
गौरी पूजन के समय गाया जाने वाला गीत।
50. कुकड़लौ/सायरसोढो
दामाद के सम्मान में गाया जाने वाल लोकगीत।
51. अजमौ
पुत्र जन्मोत्सव पर गाया जाने वाला लोकगीत।
52. चिरजा
करणी माता की आरती के समय गाई जाने वाली देवी स्तुति।
53. थलियामारू
सुसराल में दामाद के लिए गाया जाने वाला गीत।
54. भंवरियो
पौत्र के जन्म के समय गाया जाने वाल लोकगीत।
55. अन्य गीत जिनका सम्बन्घ नृत्य से भी है
घूमर, घुड़ला,