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रणथम्भौर दुर्ग - एक एतिहासिक पृष्ठभूमि ||

रणथम्भौर दुर्ग और जयगढ़ दुर्ग

रणथम्भौर दुर्ग

रणथम्भौर दुर्ग का नामकरण

इस दुर्ग का वास्तविक नाम रन्तःपुर है। "रण" दुर्ग के नीचे की पहाड़ी का नाम है और "थम्भ" उस पहाड़ी का नाम है जिस पर यह दुर्ग स्थित है। अतः इसका नाम रणस्तम्भपुर हो गया, जो कालांतर में रणथम्भौर हो गया।

दुर्ग की विशेषताएँ

  • इस दुर्ग पर हमला करने के लिए पाशेब/पाशीब (रेत व अन्य वस्तुओं से निर्मित ऊंचा चबूतरा), मगरबी (ज्वलनशील पदार्थ फेंकने का यंत्र) व अर्रादा (पत्थर फेंकने का यंत्र) का उपयोग किया गया था।
  • हमीर ने मंजनीक व ढेकुली यंत्रों से खिलजी के सैनिकों पर पत्थर के गोले बरसाए। रणथम्भौर विजय के बाद अमीर खुसरो ने कहा, "आज कुफ्र का गढ़ इस्लाम का घर हो गया।"
  • दुर्गाधिराज, चितौड़गढ़ दुर्ग का भाई, और हमीरदेव की आन-बान-शान का प्रतीक। अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में कहा कि "अन्य सभी दुर्ग नग्न हैं, जबकि यह बख्तरबंद है।"

रणथम्भौर दुर्ग साका (1301)

यह राजस्थान का प्रथम व एकमात्र जलजौहर था, जिसमें हमीर की पत्नी रंगादेवी और पुत्री पदम्ला/देवलदे ने जल जौहर किया। जब जलालुद्दीन खिलजी इस पर विजय नहीं प्राप्त कर सका, तो उसने कहा कि "रणथम्भौर जैसे सैंकड़ों किलों को मैं मुसलमान के एक बाल के बराबर भी नहीं समझता।"

प्रवेश द्वार

रणथम्भौर दुर्ग का प्रवेश द्वार नौलखा दरवाजा कहलाता है, जिसका जीर्णोद्वार जयपुर के महाराजा जगतसिंह द्वितीय ने करवाया। इसके दरवाजे के बाद 3 दरवाजों का समूह आता है जिसे चौहान शासन में "तोरण द्वार", मुस्लिम शासकों के काल में "अंधेरी दरवाजा", और जयपुर के शासकों के द्वार "त्रिपोलिया" कहा जाता था।

दर्शनीय स्थल

  • त्रिनेत्र गणेश मंदिर (सिर्फ गणेश जी के मुख की पूजा)
  • पीर सदरूद्दीन की दरगाह
  • अधूरा स्वप्न (अधूरी छतरी)
  • घी-तेल की बावड़ी
  • 32 खम्भों की छतरी

एक मात्र दुर्ग जिसमें मंदिर, मस्जिद व गिरजाघर स्थित है।

जयगढ़ दुर्ग

जयगढ़ दुर्ग का उपनाम

जयगढ़ दुर्ग को कई उपनामों से जाना जाता है जैसे कि "संकटमोचन दुर्ग", "चिल्ह का टीला", "जीत का दुर्ग", और "विचित्र रहस्यमय मंडित दुर्ग"

तोप कारखाना

यहां एशिया का सबसे बड़ा तोप ढालने का कारखाना था। एशिया की सबसे बड़ी तोप "जयबाण तोप" यहाँ रखी गई है, जिसका निर्माण जयसिंह द्वितीय ने 1720 ई. में करवाया था। अन्य तोपे - मचवान, बादली व बजरंगबाण।

जयगढ़ के भीतर लघु दुर्ग

विजयगढ़ी के पास सात मंजिला प्रकाश स्तम्भ है जिसे "दीया बुर्ज" कहा जाता है।

मुख्य द्वार

  • नाहरगढ़ की ओर डूॅगर दरवाजा
  • आमेर के महलों के पास फूलों की घाटी से अवनि दरवाजा
  • सागर जलाशय की ओर दुर्ग/भैंरू दरवाजा

दर्शनीय स्थल

  • सुभट निवास (दिवान-ए-आम)
  • खिलबत निवास (दिवान-ए-खास)
  • आराम मंदिर
  • कठपुतलीघर
  • फूलों की घाटी

आराम मंदिर के सामने वाला उद्यान मुगल उद्यानों की चार वाग शैली पर बना है।

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